STORYMIRROR

Anusuya Choudhary

Abstract

4  

Anusuya Choudhary

Abstract

ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहींमत

ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहींमत

1 min
382

मत रखो बैर किसी से , 

नजदीकियां बनाए रखो सबके साथ।।

क्यूंकि... ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं


धन, दौलत कुछ नहीं है सब यही रह जाएगा,

बस जो कर्म किए है वहीं साथ में जाएगा ।।

मोह, माया का खेल है ये सब रिश्ते नाते झूठे है,

जीवन की कड़वी सच्चाई मौत शब्द पर रुकती है।।


मौत का कोई भरोसा नहीं कब किस उम्र चली आए,

जी लो ये ज़िन्दगी हंसकर क्या पता कब चली जाए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract