जिंदगी
जिंदगी
उलझनों और कश्मकश में
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ।
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l
चल मान लिया
दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक
मुझे क्या फ़िक्र,
मैं कश्तियाँ और दोस्त
बेमिसाल लिए बैठा हूँ