मैं जीना चाहती हूं
मैं जीना चाहती हूं
जी तो सब रहे हैं,
मैं जीना चाहती हूँ...
मरना तो सबको है,
मैं अंत तक चलना चाहती हूँ...
क्योंकि चलना सबको आता है,
मैं बस रफ्तार पकड़ना चाहती हूँ...
मरना तो सबको है,
मैं अंत तक चलना चाहती हूँ...
समझ तो सब में है,
मैं खुद को समझाना चाहती हूँ....
टुकड़े की जिंदगी से थक के,
मैं खुद को समेटना चाहती हूँ...
छोटी छोटी बातों से,
मैं खुद को निकालना चाहती हूँ....
मरना तो सबको है ,
मैं अंत तक चलना चाहती हूँ...
अकेलेपन का एहसास कचोटता है,
मैं खुद को सबसे मिलाना चाहती हूँ...
तलाश सबको है पर,
मैं खुद को उजालों में तलाशना चाहती हूँ....
फिकर भरी जिंदगी में,
मैं बेफिक्री से जीना चाहती हूँ...
मैं जीना चाहती हूँ,
दूर तक जाना चाहती हूँ।।।