जब भी बुलाएंगी सीमाएं
जब भी बुलाएंगी सीमाएं
हम भारत के वीर सपूत,
वतन को सोने सा दमका देंगे।
जब भी पुकारेगीं सीमाएं,
हम वहीं राह बना लेंगे।
भारत माँ के चरणों में,
हम प्राण की भेंट चढ़ा देंगे।
जन्म लिया इस मिट्टी में,
अपने लहू से कर्ज चुका देंगे।
ना घबराकर तूफानों से,
राह चट्टानों में भी बना लेंगे।
लिए हाथ तिरंगा आगे बढ़,
हम युद्ध भूमि ने मुस्का देंगे।
अपने लहू से सींंच वतन,
कुर्बानी हम दिखला देंगे।
दुश्मन के नापाक इरादे,
हम मिट्टी में मिला देंगे।
भारत भूमि अपनी माता,
माँ की आन पर जान लूटा देंगे।
मान मातृभूमि का बढ़ाने को,
दुनिया कदमों में झुका देंगे।
वतन ही जनम वतन ही करम,
हम वतन को करम बना लेंगे।
दुश्मन के अरमानों को,
हम इस दुनिया से ही मिटा देंगे।
देकर प्राणों की आहुति,
हम मंगल दीप जला देंगे।
कल रक्षा वतन की मरते दम,
हम अपना धर्म निभा देंगे।
