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Shubhra Varshney

Inspirational

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Shubhra Varshney

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दिन-5-हूं मां मैं ही हूं नारी

दिन-5-हूं मां मैं ही हूं नारी

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धर विविध रूप सृजन कर्ता,

हूं जीवन का आधार।

बनी प्रतीक अवतारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मृदु सहज मेरा व्यवहार,

सौम्यता को बनाऊं धार।

नव सृजन की मूल आधारी

हूं मां मैं ही हूं नारी।


बन दुर्गा हूँ शक्ति स्वरूप,

मैं शीतला सरस्वती का भी रूप।

वसुंधरा पर मुझसे फैली फुलवारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


त्याग दया सद्भाव की मूर्ति,

जन-जन में करुणा हूं भरती।

पुरुष सम हर पद की अधिकारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मुझसे ही बने परिवार,

मैं खुशियों का आधार।

फिर धरा पर क्यों में भारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


यह संसार मुझसे निर्मित,

हूँ संतोष का उत्कर्ष।

ममता की खिलाती फुलवारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


हूँ परिवार की सेवती,

मन से इस बगिया को सींचतीं।

मातुल सुत संग पिया मन प्यारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मुझसे जीवन की ताल,

रखती सुरभित वनमाल।

अन्नपूर्णा बन करूं भोजन की तैयारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मुझसे बलिदानों की आन,

जीवन से भरी हूं वृक्ष सामान।

पौरुषता की आन संवारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मैं बन गंगा बहती,

मैं बन धरा भार सहती।

मैं सृजन सहस्त्रधारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मैं मां का रूप धरती,

बन बहन बेटी हंसती।

सखी प्रेयसी बन जीवन संवारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।


जीवन में लाती हर्ष,

जीवन श्रृंखला बनती संघर्ष।

कष्टों से नहीं कभी हारी।

हूं मां मैं ही हूं नारी।


मेरे संग अंबर हंसे धरा हंसे,

घर आंगन में भी स्वर्ग बसे।

अंक लेकर सृष्टि मैंने नजर उतारी,

हूं मां मैं ही हूं नारी।



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