ईश्वर – एक सुखद अनुभूति
ईश्वर – एक सुखद अनुभूति
ईश्वर – एक सुखद अनुभूति , एक मनमोहक व मधुरिम एहसास है
जिसे कभी देखा नहीं , उसके विराजमान हृदय में होने का ,
संग सदा चलने का, प्रबल एक विश्वास है।
हर डर दूर हो जाता दर पर पहुँच कर जिसके,
निर्बल भी हो जाता बलवान सौजन्य से साथ के जिस के,
परम-प्रतापी है नाम उसका ,
धन्य हो जाता हर भक्त जिसका जाप कर के ।
पतंग जो कट रही हो ज़िंदगी की,
डोर थामने वाला हाथ उसी का है,
जब निराश और व्यथित हो चित्त कभी,
उबारने वाला नाम उसी का है ।
रोशन है कोशा- कोशा इस दुनिया का
जिसकी रहमत और कृपा के दम से ,
उजियारा है पृथ्वी के कण – कण में और महका है
इत्र के समान नाम जिसका हृदय में जन-जन के ,
अति-मनोहर जिसका नाम , आधार शिला जो हमारे जीवन की,
जिसके स्मरण-मात्र से मुक्ति मिल जाती सभी विषमताओं से।
जिसका नूर निहार कर सूनी अखियों की चमक लौट आती,
जिसके चरणों में अरदास हेतु शीश नवां कर,हर भक्त ने पा ली प्रसिद्धि व ख्याति,
मन की मुरादें पूरी हो जातीं सच्चे मन और भक्ति-भाव से पुकारने से नाम जिसका,
अपार-शक्ति है उस ईश्वर के नाम में, मधुरिम है, मनोहर है ,अति-सुंदर है नाम उसका।
जिसकी कृपा से सुचारू रूप से अनवरत चलते रहते , पहिये जीवन रूपी गाड़ी के ,
कष्ट सभी मिट जाते, राह के रोड़े हट जाते ,उस दिव्य-शक्ति की दया-दृष्टि पा के ।
उसे अवरोधों का भय क्या होगा ,सरपरस्त सर्वदा जिसके निर्मल उस शक्ति का साथ है,
अकेला कभी वो क्या ही होगा जिसने सच्ची श्रद्धा व भक्ति से पुकारा उसका नाम है ।
सहारे की ज़रूरत उसे क्या होगी जिसे स्वयं उस प्रभु ने संभाला और संवारा है ,
राजा या रंक, बूढ़ा या जवान ,हर शरणागत का उस ओजस्वी शक्ति ने समान भाव से उद्धार किया है ।
मीरा का सहारा हैं ,राधा के मोहन, सीता के राम और पार्वती के शंकर हैं वो ,
अल्लाह कहलाते मस्जिद में,येसु गिरजाघर में ,तो गुरुद्वारे में गुरुजी के नाम से सुस्स्जित रहते हैं वो
अनेकों नाम से जो पूजे जाते ,अपरंपार है उनकी महिमा,
उनके प्रेमपाश में जो बंध गया,वो कमला हुए बिन ना रह सका...
