तुम मेरी हिम्मत
तुम मेरी हिम्मत


तुमसे ही हिम्मत ताकत है
तुमसे ही हिम्मत ताकत है,
तुझसे ही जग सलामत हैं।
जहाँ की सब खुशियाँ तुझसे,
तू ही तो शिष्यों की ताकत हैं।
सद्गुरु रहता तो कण कण में,
हर पल राह सजाता हैं,
कंटक मिले या फूल मिले,
चलना तू सिखाता है।
मझधार से इस जीवन का,
तू ही तो खेवैया है,
पार लगाता तू ही तो,
हर शिष्य की नैया है।
तम के अंधकार को भेद कर,
तू सूरज सा चमकाता है,
कभी कुम्हार बन जीवन में,
बहुत बहुत तपाता हैं।
तप तप कर हम सब,
कुंदन से बन जाते है,
सीख कर तेरे चरणों से,
पदचिन्ह प्यारे बनाते है।
है उपकार पल पल तेरा,
तुझसे ही हिम्मत ताकत है,
जो कभी भी न हार पाए,
मुख पर अब वो मुस्कुराहट है।।