बुद्ध या युद्ध
बुद्ध या युद्ध


किस मद में ही होकर वो चूर।
लगता तो है युद्ध को आतुर।
युद्ध में ना जाने कब कितने।
मिटते हैं बहादुर और चतुर।
बुद्ध को अपना कहने वाला
शुद्ध विचार अपनाने वाला
युद्ध को दरकिनार करता है
सिर्फ वतन से प्यार करता है।
इतिहास साक्षी है सदियों से,
युद्ध में भला हुआ है कब से।
हरेक रण विनाशक होता है,
निर्दोष ही मारा जाता है।
हर कोई गाॅंठ बांधो अब से
युद्ध करो नहीं कभी किसी से
अभी बुद्ध की शरण में जाओ
असीम सुख का संदेश पाओ।