जिंदगी
जिंदगी
ये दो दिन की जिंदगी
खूबसूरत सी मेहमान है
और हम इसे गवा रहे हैं
धीरे _धीरे अपने हिस्से से
त्याग नही सकते इस
झुठी दुनिया से मोह माया
के बंधन को
कभी इसके लिए तो
कभी उसके लिए उदास
रहता है मन सदा
अपनी जीवन की फिक्र कहां
बस होड़ लगी है यहां वहां
है शोर बड़ा इस जीवन में
जीने के लिए सब मर रहे
और भागते भागते थक
जायेंगे एक दिन जब हम
राहो में
शायद जिंदगी मिला दे
सुकून की ठंडी छाओं से
इतने दिनो के भाग दौर
के बाद भी खत्म हो जाएगी
जिंदगी
हम लाख रोकेंगे उसे की
अभी तो हमने जिया नही
खुद के लिए कुछ किया नही
हम खूब मिन्नतें लगाएंगे
और फिर भी नही रुकेगी।
