संकल्प
संकल्प
मंजिल बड़ी है मत सोचो तुम
है रास्ता कठिन मत सोचो तुम
हारा वही है लक्ष्य से
जो जिद पे अपनी अड़ा नहीं
सारे विघ्न छोटे पर जाएंगे
है कुछ भी संकल्प से बड़ा नहीं।
कांटों के सफर से जो हम गुजरे
फूल गुलाब ढूंढ लायेंगे
वीरान पड़ी जो वर्षों से है,
वहां फिर से खुशी महकाएंगे,
है उनकी भी कहानी क्या
जो जीने के लिए कभी मरा नहीं,
बदल जायेगी सारी दुनिया
है कुछ भी संकल्प से बड़ा नहीं,
छोटी सी थी, जो नदी मिली
सागर हम उसे बनाएंगे
धरा की कोमल मिट्टी पे
आसमां का तारा सजाएंगे
मिलती नहीं है उनको मंजिल
जो खुद के लिए कभी लड़ा नहीं
कीर्ति गाएगी ये जग सारा
है कुछ भी संकल्प से बड़ा नहीं ।