Nitu shivanshita (Nitu Kumari)

Tragedy Crime

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Nitu shivanshita (Nitu Kumari)

Tragedy Crime

गरीब मासुम

गरीब मासुम

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भींग रहे थे आंसु से उस मासुम

का कतरा _कतरा और 

और हंस रही थी सड़को पे 

दौड़ती हुई गाड़ियों में अमीरों

की जिंदगी,


पीछे बेचारा लाचार सा गरीब इंसान 

जिसे अब तक हुआ न है 

शहरो मे जीने का ज्ञान 

बेटियां उसकी छोटी सी 

आंसु ही आंसु बहाती है 

कैसे बेरहम लोग है जो 

गाड़ी गरीबों के ऊपर से 

ले जाते है,


न मिली है उसे मरहम न मिला 

किसी का प्यार,

दौलत हुई इंसान की दुनिया 

बाकी सब बेकार 

ये सब ईश्वर की मर्जी है 

है कोई यहां शाप तो नहीं 

गरीबी में जन्म लेना यहां,

है ये कोई पाप तो नहीं।


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