अकेला हूँ
अकेला हूँ
एक मुस्कान है मेरे मुंह पर,
चाहे कितना भी रो ना लूँ ...।।
कहने को तो साथ मेरे बहुत है
पर मैं जानता हूँ मैं अकेला हूँ!
तेरे तमाशे कि दुनिया का,
मैं एक छोटा सा मेला हूँ
तुमने कहा जिंदगी साथ कटेगी,
पर मैं जानता हूं मैं अकेला हूँ...
हैं साफ ये हाथ मेरे...
उपर से जितने भी मैले हैं हम...
शायद कमी मुझमें ही है,
तभी रहता मैं अकेला हूँ..।।
दूसरे से उम्मीद कर,
खुद के आसुओं मे भीगा हूँ...
इस मतलबी दुनिया मैं रहने से अच्छा,
ठीक है जो मैं अकेला हूँ,
ठीक है जो मैं अकेला हूँ..।।
