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Pradeep Sahare

Tragedy

4  

Pradeep Sahare

Tragedy

ड़र तो है..

ड़र तो है..

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डर तो है,

रिश्तों में भी ।

घूम रहे हैं ,

जो आस पास ।

बनावट का,

मुखौटा लेकर।

ऊंगलियों के नाखून ।

ना जाने कब !

खरोंच दे ।

या जाने कब !

अनचाहा स्पर्श ,

कर दे हाथ ।

कंधे पर रखकर ।

तोड़ दे विश्वास,

धड़कते दिल का ।

वासनाओं से भरी आँखें,

लपलपाती जीभ ।

खड़े हैं कटघरे में,

रिश्ते आज ।

डर तो है

डर तो है।



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