ड़र तो है..
ड़र तो है..
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डर तो है,
रिश्तों में भी ।
घूम रहे हैं ,
जो आस पास ।
बनावट का,
मुखौटा लेकर।
ऊंगलियों के नाखून ।
ना जाने कब !
खरोंच दे ।
या जाने कब !
अनचाहा स्पर्श ,
कर दे हाथ ।
कंधे पर रखकर ।
तोड़ दे विश्वास,
धड़कते दिल का ।
वासनाओं से भरी आँखें,
लपलपाती जीभ ।
खड़े हैं कटघरे में,
रिश्ते आज ।
डर तो है
डर तो है।