ऐ जिंदगी किस राह पर ले आयी है.
ऐ जिंदगी किस राह पर ले आयी है.
ऐ जिंदगी, किस राह पर ले आयी है
कहीं कांटे बिछे हैं, तो कहीं खायी है
हाँ हूँ मैं मजबूर, हूँ अपनों से दूर
ठोंकर भी मैंने, अपनों से खाई है
गमों को मैंने गले से लगाया है
ठोंकरों से मैंने, खुद को संभाला है
ऐ जिंदगी क्यूँ इतनी तन्हाई है
ऐ जिंदगी किस राह पर ले आयी है......
मुझे गिला नहीं है किसी से
आँसुओं की बरसात,
अपनों ने ही बरसाई है
ऐ जिंदगी किस राह पर ले आयी है......
ना पता था की, जहर अपनें भी देते हैं
ना पता था की, दुश्मन अपनें भी होते हैं
इस तरफ खाई, और उस तरफ भी खाई है
ऐ जिंदगी किस राह पर ले आयी है........
