मै छू लूं गगन ये सारा
मै छू लूं गगन ये सारा
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एक बूंद गिरा दो बूंद गिरा ,
गिर गई ये बदरी सारी ।
कहीं मोती से तालाब भरा,
कहीं भर गया समंदर सारा ।
खोल दो कोई मेरे पिंजरे को
मैं छू लूं गगन ये सारा ।
सितारों से भरा ये अंबर
महफिल लगाई सारी
बादलों में जो चांद छुपा है
निकले बारी _बारी
नीले गगन पे मुझे भी जाना
कोई अर्जी लगा दो हमारी
खोल दो कोई मेरे पिजरें को
मै छू लूं गगन ये सारा।