STORYMIRROR

चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Inspirational

4  

चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Inspirational

आओ ! गुस्सा त्यागें

आओ ! गुस्सा त्यागें

1 min
288

आओ! गुस्सा त्यागें,

 हम प्रेम– सौहार्द की बातें करें।


कुछ खट्टी, कुछ मीठी,

यादों के साथ,

मैं तेरे दिल में बस जाऊंगी,

जब मुझे तू याद करेगा ,तो

मैं चाहकर भी ! 


तेरे पास वापस न आ पाऊंगी,

सब छोड़ चली जाऊंगी,

कल किसने देखा है ?

आओ ! गुस्सा त्यागें,

हम प्रेम सौहार्द की बातें करें।


जिंदगी! चार दिन की है,

जाने कौन ! कितने दिन का मेहमान,

आओ ! अपनी खुशियां, अपनों के साथ बांट लें,

अगर,मन में कोई गांठ हो, तो उसे खोल दो !

एक –दूजे के साथी हैं ,

हम दूसरे का सहारा बने,

आओ ! गुस्सा त्यागें, हम प्रेम– सौहार्द की बात करें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational