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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract

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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

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कौशल्या - दशरथ नंदन रघुनंदन का अभिनंदन

कौशल्या - दशरथ नंदन रघुनंदन का अभिनंदन

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हे कौशल्या के नंदन आपका अभिनंदन है ,

मंदिर के प्रांगण में पलक बिछाएं बैठे हैं जन, 

रामपथ देख रही है चेतना , जनसमूह उमड़ रहा है

हे रघुनंदन ! पाँच सौ साल प्रतीक्षा की घड़ी का अंत

 दे दो जनदर्शन |


हे दशरथ के नंदन आपका वंदन है । 

सनातन संस्कृति हमारी धरोहर

पीढ़ी दर पीढ़ी रखे ज्ञान 

भरत के वंशज को है अभिमान

हर घर ध्वजा लहराएँ, पुष्प से सजाएँ

मंगल ध्वनियाँ गूँज रही हैं, राम कथा का करें गुणगान, 

चहुंँ दिशाओं में हो रहा है यशोगान

राममय हुआ आज हिंदुस्तान

हे कौशल्या - दशरथ नंदन  

चेतना प्रकाश चितेरी कर रही आपका अभिनंदन



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