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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract Inspirational

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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract Inspirational

बचपन की बारीश, बम की वर्षा

बचपन की बारीश, बम की वर्षा

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( कविता ) बचपन की बारीश , बम की वर्षा ________________________ बारिश का मौसम , लगता था सुहाना। भीगें -भीगें कोमल पत्तों पर, छोटी - छोटी बूंँदों का गिरना, खींचती हैं मन को , बचपन की यादें , कागज की कश्ती , बरखा का पानी । फूलों पर रंग - बिरंगी, तितलियों का बैठना, पंख हिला - हिला कर उड़ना , लगती थीं कितनी सुंदर। कहांँ गया वे दिन , कैसा है यह दौर ? भीगा - भीगा चित्त मोरा , इधर - उधर भटक रहा, न कोई ठौर - ठिकाना, विश्व मे युद्ध हो रहा, मृतप्राय है संवेदना, मानव अस्तित्व खतरे में, मिसाइल ड्रोन की वर्षा हो रही , मुश्किल है अब बच पाना , जागो रे ! चेतना ! देखो ! चीख पुकार रहे हैं, हाल बेहाल , फटे हाल है, दया करो ! जन निर्दोष हैं, जाओ! इन्हें शांति का पाठ पढ़ा दो! बम की वर्षा हो रही , उन्हें अब रोक दो! सौहार्द , सौमनस्य की भावना हो, प्रार्थना है - जग में अमन - चैन हो। (मौलिक रचना) चेतना सिंह , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश मंगलवार ,२४/६/२०२५ , १०:५८ पूर्वाह्न


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