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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract

4  

चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

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कामना

कामना

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उस रब की शुक्रिया मैं कैसे अदा करुँ,

अब ना मैं उस खुदा से शिकवा करूंँ, 

दुनिया की सारी खुशियांँ मेरे घर में,

 श्रद्धा सुमन से उस ईश की मैं वंदना करूंँ। 


 ख़ुशनसीब देवरानी को बहन के प्रतिरूप में मिलती है जेठानी,

 जिनके शबनम जैसे होठों से तरन्नुम के गीत सुबह - शाम सुनूँ। 


उस रब की शुक्रिया मैं कैसे अदा करुँ, 

उस खुदा से  बस इतना मैं अर्ज करूंँ, 

आज जन्म तिथि शुभ अवसर पर,

ईश्वर अर्चना की मनोकामना पूर्ण करें,

दीर्घायु उत्तम स्वास्थ्य की मैं कामना करूंँ । 


उस रब की शुक्रिया मैं कैसे अदा करूंँ, 

जिसने बनाया खूबसूरत - सा जहांँ,

हे मेरे प्रभु ! देना मुझे शक्ति, सत् मार्ग पर मैं चल सकूंँ, 

जीवन के सफर में जितनी भी बाधाएंँ हों,

उन मुश्किलों का अडिग होकर मैं सामना करूंँ, 

चेतना प्रकाश की संगिनी बन कदम से कदम मिलाके चलूंँ। 


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