जीवन की शाम
जीवन की शाम
कौन देश से आया मुसाफिर बता तेरा क्या नाम है?
किस वास्ते आया यहां बता तेरा यहां क्या काम है?
लगता तू छलिया, कपटी, पर मुंह पर राम-राम है l
कहां जाना है तुझे, बोल जरा कहां तेरा धाम है ?
दूर देश से आया गोरी, श्याम मेरा नाम है l
सौदा करने आया हूं मैं, सौदेबाजी मेरा काम है l
सौदा जम गया तो बढ़िया, वरना राम-राम है l
जीवन में तेरे आना चाहूं, तेरा दिल मेरा धाम है l
क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l
नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुका जाम है l
रूप यौवन सब जाता रहा, सूख गई सारी चाम है l
अब आया तो क्या फायदा, जब होने वाली शाम हैl
तुझे भव से तारने आया, वैतरणी का ताम-झाम है l
भक्ति रस से भर ले गोरी, खाली हो चुके जो जाम हैl
तू बस मन को मुझमें रमा, भूल जा कैसी तेरी चाम है l
यही सही समय है जब होने लगी तेरी जीवन की शाम है l
पहले आता तो क्या पाता, रूप यौवन ने तुझे भरमाया था l
तेरे अहंकार ने तुझे भक्ति मार्ग से भटकाया था l
छोड़ सारे अहम भाव गोरी, भक्ति मार्ग पर चल पड़ो l
धरकर भक्ति का साथ गोरी, पार वैतरनी को तुम करो l
(इस कविता में आत्मा और परमात्मा के बीच होने वाली बातों को दर्शाया गया हैl )