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Lokeshwari Kashyap

Abstract

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Lokeshwari Kashyap

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जीवन की शाम

जीवन की शाम

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कौन देश से आया मुसाफिर बता तेरा क्या नाम है?

 किस वास्ते आया यहां बता तेरा यहां क्या काम है?

 लगता तू छलिया, कपटी, पर मुंह पर राम-राम है l

 कहां जाना है तुझे, बोल जरा कहां तेरा धाम है ?


 दूर देश से आया गोरी, श्याम मेरा नाम है l

 सौदा करने आया हूं मैं, सौदेबाजी मेरा काम है l

 सौदा जम गया तो बढ़िया, वरना राम-राम है l

 जीवन में तेरे आना चाहूं, तेरा दिल मेरा धाम है l


 क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l

 नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुका जाम है l

 रूप यौवन सब जाता रहा, सूख गई सारी चाम है l

 अब आया तो क्या फायदा, जब होने वाली शाम हैl


तुझे भव से तारने आया, वैतरणी का ताम-झाम है l

 भक्ति रस से भर ले गोरी, खाली हो चुके जो जाम हैl

तू बस मन को मुझमें रमा, भूल जा कैसी तेरी चाम है l

यही सही समय है जब होने लगी तेरी जीवन की शाम है l


 पहले आता तो क्या पाता, रूप यौवन ने तुझे भरमाया था l

 तेरे अहंकार ने तुझे भक्ति मार्ग से भटकाया था l

 छोड़ सारे अहम भाव गोरी, भक्ति मार्ग पर चल पड़ो l

 धरकर भक्ति का साथ गोरी, पार वैतरनी को तुम करो l


 (इस कविता में आत्मा और परमात्मा के बीच होने वाली बातों को दर्शाया गया हैl )



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