बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
बच्चों का शारीरिक विकास आवश्यक,
उतना ही आवश्यक मनोवैज्ञानिक विकास,
अगर इसमें रहेंगी त्रिटूयां,
तो वो नहीं बन पाएगा संपूर्ण मानव,
समाज के लिए होगा घातक।
बच्चों को खूब प्यार दें,
उनकी जायज मांग पुरी करें,
और अगर हो हिम्मत से बाहर,
तो प्यार से समझाएं,
न डपटे डांटे।
अगर आप बच्चे को प्यार देंगे,
तो वो भी प्यार वापस करेगा,
और कभी हिंसक नहीं बनेगा।
अगर बच्चा करे कोई गलती,
तो भी सब्र दिखानी पड़ती,
उसको दोस्तों की तरह समझाएं,
हो सके तो स्वयं सही करके दिखाएं,
जिससे उसका बढ़ेगा आत्मविश्वास,
और वो कभी नहीं दोहराएगा।
मुझे लगता बच्चों के अधिकार,
कानून से होने चाहिए पास,
इनकी भी अलग पुलिस और न्यायायल हो,
जहां इनके अधिकारों की सुरक्षा हो,
क्योंकि स्वयं ये होते हैं असमर्थ,
तो व्यवस्था में होना चाहिए परिवर्तन,
जिससे इनकी बात की भी हो एहमियत,
और कोई इनका न कर सके शोषण।
सरकार को लेनी चाहिए जिम्मेदारी,
जब तक है बच्चा,
सरकार करेगी उसकी सुरक्षा।