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ADITYA MISHRA

Abstract

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ADITYA MISHRA

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नदी ने कुछ कहा

नदी ने कुछ कहा

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मेरे ही जल में लगा के डुबकी

तुमने पापों को धोया है,

मेरे जल में तुमने

फिर विष को क्यूं घोला है।


माना तेरे घर आते हैं

पीने को डिब्बाबंद जल,

पर जीवन तो जल में भी है

क्यों करते हो तुम जलजीवन त्रस्त।


मुझको तो मां कहते हो

कहने को पूजते भी हो,

मेरी भावना की तुम चिंता

फिर क्यूं नहीं तुम करते हो।


कुछ ज्यादा नहीं मांगूंगी तुमसे

मां कहते हो इसलिए कहती हूं,

मेरा जल तो तुम्हारा ही है

इसे रखना तुम स्वच्छ पवित्र।


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