हकीकत
हकीकत
हमसे न पूछो इस जमाने की हकीकत,
न जाने कितने खास, आम हो जायेंगे।
बदली फिजां की नजर में हैं कबसे,
न बदले तो एक दिन खाक हो जाएंगे।
खुद को खुदा का खुदा समझने वाले,
एक दिन कब्र को भी मोहताज हो जाएँगे।
नजरअंदाज हकीकत को कर गए हैं जो लोग,
हकीकत को देख एक दिन दहल जाएँगे।