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Zuhair abbas

Abstract

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Zuhair abbas

Abstract

ना उम्मीदी की उम्मीद

ना उम्मीदी की उम्मीद

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ज़रा देर को ही सही

मुझे सीने से लगा कर कोई दिलासा दे दे।


कुछ क़दम को ही सही

मुझे राह मे कोई कुछ दूर तक सहारा दे दे।


कुछ वक़्त को ही सही

मुझे ज़िन्दगी दो पल का सुकून दे दे।


कुछ आसमां सा ही सही

मुझे मेरे बसेरे को आशियां दे दे।


कुछ लाज़मी सा ही सही

मुझे जीने को कोई वजह दे दे।


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