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Zuhair abbas

Tragedy

4.6  

Zuhair abbas

Tragedy

फेक लव

फेक लव

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चुभते हैं अल्फ़ाज़ मेरे

फिर भी बात करने का शौक रखते हो 


पुछने पर मोहब्बत से मुकर जाते हो 

पर कमाल हम पर हक़ जताते हो !


कहते हो ज़िन्दगी से अज़ीज़ हैं हम

और वक़्त - ए जुरुरत पर मुकर जाते हो


वफा के दामन में छुपकर

 क्या कमाल बेवफाई किया करते हो!


सुना है अश्कों पर मेरे तुम छुपकर मुस्कुराया करते हो 

और कहते हो मरे दर्द को तुम सीने से लगाया करते हो 


लौट जाओ की वापसी भी मुम्किन ना हो तुम्हारे लिए

दिखावे के रिश्तों से क्यों मेरा वक़्त बर्बाद किया करते हो !



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