STORYMIRROR

Zuhair abbas

Tragedy

3  

Zuhair abbas

Tragedy

फेक लव

फेक लव

1 min
338

चुभते हैं अल्फ़ाज़ मेरे

फिर भी बात करने का शौक रखते हो 


पुछने पर मोहब्बत से मुकर जाते हो 

पर कमाल हम पर हक़ जताते हो !


कहते हो ज़िन्दगी से अज़ीज़ हैं हम

और वक़्त - ए जुरुरत पर मुकर जाते हो


वफा के दामन में छुपकर

 क्या कमाल बेवफाई किया करते हो!


सुना है अश्कों पर मेरे तुम छुपकर मुस्कुराया करते हो 

और कहते हो मरे दर्द को तुम सीने से लगाया करते हो 


लौट जाओ की वापसी भी मुम्किन ना हो तुम्हारे लिए

दिखावे के रिश्तों से क्यों मेरा वक़्त बर्बाद किया करते हो !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy