पहचान
पहचान
जीवन में प्रण लेकर बनो तुम एक अच्छे इंसान
नहीं ज़िद में आकर तुम बनो एक शैतान,
मनुष्य और शैतान का अंतर अच्छे से जानो
ज्ञान और अज्ञानता के भेद को पहचानो,
ईश्वर ने नहीं सबको मनुष्य का जन्म दिया है
ये जन्म लेकर तुमने मनुष्य योनि को सार्थक किया है,
सामने उन्नति के अनेको मार्ग प्रशस्त हैं
प्रगति का सूरज उगा है अभी नहीं ये अस्त है,
अपनी प्रतिभा को ख़ुद ही तुम पहचानो
जौहरी तुम ही हो ये बात तुम मानो,
अपने आप को तराश कर एक नया मुकाम दो
ज्ञान के शिखर पर ख़ुद को एक नया आयाम दो ।
