दोस्त
दोस्त
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दोस्त
तुम्हारी दोस्ती
मुझ में दम भारती
उम्मीदों की कमी
कभी नहीं करती
विषम परिस्थितियों में
जब
युद्ध के लिए
टूटे रथ को हाँक लेती हूँ
इस विश्वास से
कि
मेरे रथ के पहिये में
कील की जगह
उँगली है तुम्हारी
जीत जाऊँगी मैं
नहीं कोई
शक-शुभहा की है बारी ।