डटकर खड़ी हो रही हूॅं मैं !
डटकर खड़ी हो रही हूॅं मैं !
यहां भीष्म पितामहों की भीड़ में
कौरवों के चक्रव्यूह को तोड़ती
अकेले लड़ रही हूँ मैं ,
अर्जुन का लक्ष्य लेकर
कृष्ण की नीति अपनाकर
कलियुग का महाभारत गढ़ रही हूँ मैं ,
रिश्ता छल से कभी नहीं निभता
ये उन्हीं सच के ढेर का एक सच है
जो किताबों में पढ़ रही हूँ मैं ,
पद रिश्ते और षड्यंत्रों का घेरा
हर युग में नहीं चल पाएगा
ऐसी मानसिकता का रोड़ा बन अड़ रही हूँ मैं ,
भीष्म पितामह के वचनों में बंधे होने का
कब तक लिहाज़ करूंगी
उन वचनों के सामने डटकर खड़ी हो रही हूॅं मैं ।