सफर
सफर
एक अनवरत चलता सफर ही तो है ये ज़िन्दगी,
कभी ना थमने वाली एक दौड़ ही तो है ज़िन्दगी,
हम तो मात्र एक मोहरे हैं जिनको अपने इशारों पे ताउम्र नचाती है ये ज़िन्दगी.
एक मंज़िल मिली नहीं, दूसरी की चाह में भटकने की दास्तान है ये ज़िन्दगी,
जो खोया उसे पाने की आशा है ये ज़िन्दगी,
अभी तो कुछ ही मिला है पाने को बाकी सारा जहाँ है इसी सोच के इर्द गिर्द घूमती रहती है ये ज़िन्दगी.
खुद को भुला कर अपने अस्तित्व को पहचानने की कवायद है ये ज़िन्दगी,
सफर का ही हूँ मैं, सफर का रहा, सफर का ही रहूँ सदा इसी चाहत का किस्सा है ज़िन्दगी,
ना जाने कितने ही सफर शुमार हैं इसमें, ऐसा समर, ऐसा सफर है ये ज़िन्दगी.
ट्रेन से जैसे दिखती भागती हुई हरी भरी पगडंडियाँ , वैसे ही सरपट भागते क्षण ज़िन्दगी के,
कुछ साकार होते तो कुछ अधूरे ही रह जाते, ऐसे अधपके अरमानों का फलसफा है ये ज़िन्दगी
एक बटोही की मंज़िल पाने की भूख को राहत पहुंचाने का सफर है ये ज़िन्दगी।