मृत नहीं तेरी आत्मा देख रहा परमात्मा जला रातों को समर में मृत नहीं तेरी आत्मा देख रहा परमात्मा जला रातों को समर में
कहाँ गए संजीवनी दिन जब नदियाँ स्वच्छ शीतल जलदायिनी थी कहाँ गए संजीवनी दिन जब नदियाँ स्वच्छ शीतल जलदायिनी थी
वही पुरानी तान बटोही। वही पुरानी शान बटोही। वही पुरानी तान बटोही। वही पुरानी शान बटोही।
जहां जब जो भी मिल गया, खा पीकर लेकर चल दिया। जहां जब जो भी मिल गया, खा पीकर लेकर चल दिया।
समेट लिया सूनापन भीतर विस्तृत मन. समेट लिया सूनापन भीतर विस्तृत मन.