मन का साथी (चोका)
मन का साथी (चोका)
समेट लिया
सूनापन भीतर
विस्तृत मन
नीलांबर को घेरे
उड़ते पाखी
हो गये हैं विलीन
मनु आहत
कैसी दिखती सृष्टि
प्रेम विहीन
श्रद्धा एवम इड़ा
व्याकुल बड़ी
ढूँढने है निकली
मन का साथी
दूर करे खालीपन
तृप्त हो रूह
चलके भक्ति मार्ग
निस्वार्थ सेवा
कर्मरत मनुज
बांटे खुशियाँ
खोज लेता आशाएं
अन्धकूप में
बटोही की पुकार
बंजर भूमि
बुनियाद से हिली
धंसती जाती
अपनों से आहत
है सदा सीता मैया!!
