असफलताओं का बोझ
असफलताओं का बोझ
जब असफलताओं का बोझ
संभाला नही जाता तब किस्मत का
सिक्का उछाला नही जाता
मृत नही तेरी आत्मा
देख रहा परमात्मा
जला रातों को समर में
बन जा तू विश्वात्मा
आंख अब जो भीगी है
सीख यही सीखी है
कांटो भरी राह में बटोही
धूप बड़ी तीखी है
तोड़ दे सीमाओं का घेरा
ला तू अपना अब सबेरा
अडिग कर समय से बखेड़ा
पा ले अब तू लक्ष्य तेरा
इच्छाओं को त्याग
हो प्रतिबद्ध तू
हार कर हारा नहीं
कर दे अब ये सिद्ध तू
मलिन मन की कुंठाओं
को त्याग तू
दौड़ में शामिल नहीं
जीतने को भाग तू
सुन गैरों के ताने
हो नही नाराज तू
अपना भाग्य खुद लिखे जो
है वही महाराज तू
विश्राम न विलंब कर
विफलतओं पर विलाप बंद कर
ज्वालामुखी सी शक्ति तुझमें
जीवन समर में द्वंद कर
कौन कहे तुझसे ओ पथिक
प्रस्तर तोड़ पथ निकाला नहीं जाता
जो तेरे गले हार का निवाला नहीं जाता
मत मान की रेगिस्तान से
पानी निकाला नहीं जाता
जब हार का बोझ संभाला नहीं
जाता
तब किस्मत का सिक्का उछाला नहीं
जाता।
