मानवता क्या है ?
मानवता क्या है ?
मानवता क्या है ? क्या है कोई बड़ी अभिलाषा
या है किसी अबोध बालक की आशा
मृदुल जल को प्राप्त हुआ जो ऐसा कोई पंछी प्यासा।
नही ये कोई स्वर्णमहल, है बुजुर्गों का स्नेह अविरल
नहीं ये कोई स्थूल हृदय, ये तो है मन चंचल।
प्रशंसा हेतु दान नहीं, ये तो है रोटी का टुकड़ा
व्यक्तित्व कोई महान नहीं, है साधारण सा मुखड़ा।
भोग विलास की वस्तु नहीं, ना है सुंदर काया
थके पथिक को मिल जाती है वो तरुवर की छाया।
वेद ज्ञान, विज्ञान नहीं ये ना कोई उन्माद है
सरलता में छिपी हुई छोटी सी तो बात है।
विश्वास जो खो रहे हैं, उन सब का सम्मिलित साथ है।