माँ ! तू खुद को ठगती है, जब मुझको पराया कहती है। माँ ! तू खुद को ठगती है, जब मुझको पराया कहती है।
शुद्ध आत्मा से ही मिलेगा सच्चा संतोष। शुद्ध आत्मा से ही मिलेगा सच्चा संतोष।
ये बातें हैं दिल की.. शब्दों में इसे उलझाना क्या ? ये बातें हैं दिल की.. शब्दों में इसे उलझाना क्या ?
और मैं, आज भी कभी-कभी सड़क के किनारे, ठेले पे खा लेती हूं ! और मैं, आज भी कभी-कभी सड़क के किनारे, ठेले पे खा लेती हूं !
अज्ञान की चादर, अपने लोचन से हटा, बस अक्ल से काम ले और अपनी सूझबूझ बढ़ा। अज्ञान की चादर, अपने लोचन से हटा, बस अक्ल से काम ले और अपनी सूझबूझ बढ...
बुराई का संहार अब करने, हो जा फिर से तैयार तू। बुराई का संहार अब करने, हो जा फिर से तैयार तू।