आत्मा
आत्मा
आनंद, संतोष कहीं और नहीं है
अपने अंदर आत्मा में ही है।
बाजार में कोई वस्तु माँ गने से
आए संतोष तो सच्ची संतोष नहीं है
ये सुख से मिले दुख है
स्वच्चंद मने से रहने रहने वाले को
और शुद्ध आत्मा से ही मिलेगा
सच्चा संतोष।
आनंद, संतोष कहीं और नहीं है
अपने अंदर आत्मा में ही है।
बाजार में कोई वस्तु माँ गने से
आए संतोष तो सच्ची संतोष नहीं है
ये सुख से मिले दुख है
स्वच्चंद मने से रहने रहने वाले को
और शुद्ध आत्मा से ही मिलेगा
सच्चा संतोष।