सृष्टी का प्रतिसृष्टी
सृष्टी का प्रतिसृष्टी
सृष्टि का प्रतिसृष्टि कर
समाज का मार्गदर्शन किए
नारी तुमको वंदना करते हैं हम,
संसार सागर में तू ही तू हैंl
क्षमा की चिन्ह है तू
विद्या की सरस्वती है तू
मां बहन पत्नी बेटी का रूप धारण करके
अनुराग और आत्मीयता
बताने में तू ही
अमृत मूर्ती है
बिगड़ी समाज में
मानवता लुप्त हुई
आज की दुनिया में अस्मिता
के बीच में
खड़े होकर एक झांसी,
एक रुद्रमादेवी का रूप बनकर
जीती हो
नारी तुम प्रेम हो
आस्था हो विश्वास हो
टूटे हुए समाज का धागा बनकर
तू एकमात्र आशा हो
लुप्त हुई प्रेम और
अनुराग का आधार हो
हे नारी तू ही सृष्टि कर्ता हो
विश्वत प्रेम और सेवा भाव
कर्मठ और सहनशीलता की
रूपधारिणी हो।
