स्त्री का अस्तित्व
स्त्री का अस्तित्व
हाँ कहते हैं स्त्री को
स्वतंत्र मिला
लेकिन कहाँ
बचपन में मां, बाप के
छाया पर यौवन में
पति और ससुराल
का छाया पर
कहाँ हैं वो स्वतंत्र
पढ़े लिखे हैं
वो अपने की मर्जी से??
कहाँ भाई तो इंजीनियर बनेगा
लेकिन बहन कॉलेज जाना भी
मुश्किल पर था,
अब कुछ बदलग या हैं
लड़का हैं तो ग्लोबल स्कूल पर
लड़की है तो???
हैं सरकारी स्कूल
बदले समाज में
स्त्री का स्थान
सिर्फ रसोई घर में
या अस्मिता टूठे
समाज में
समाज तो बदला हैं
लेकिन समाज में रहने वाला???
स्त्री ऑफिस जाती हैं
लेकिन अपनी मर्जी से नहीं
क्योंकि दफ़्तर का काम आठ घंटे
फिर घर का काम सोलह घंटे
हाँ बर्तन धोना, कपड़ा धोना
घर साफ करना रसोई घर का
काम सब कुछ करकर
थक गइ ओ बेचारी
कौन बोला हैं
स्त्री का स्वतंत्र मिला
ओ झूठे पत्ते में
कितनी साल
बिताएंगे आप
कहाँ हैं स्त्री का स्तिर
कभी भी ये शृंखला
थोड़कर ओ विमुक्त
नहीं होंगी
स्त्री का अस्तित्व ही रहा, होगा
बदलते समाज में स्त्री का स्थान।
