भारत के वीर सीजन - 4
भारत के वीर सीजन - 4
भारत का वीर जवान हूँ
सीने पर गोली खाता हूँ
ना गर्मी की तपन मुझे पिघलाती है
ना बर्फीली ठंड मुझे डराती है
मैं वह तपन हूं जो गर्मी को भी पी जाता हूं
मैं वह आर्कटिक हूं जो शीत को भी समाहित कर लेता हूं
पर्वत की तरह अडिग खड़ा सीमा पर डटा रहता हूं
आये दुश्मन तो काट उसका सर
नहीं डरता हूँ मैं सीने पर गोली खाता हूं
सौभाग्यशाली खुद को समझता हूँ
जब कफन में तिरंगा पाता हूँ
अपनी भारत माँ के लिए मैं माँ का
सूना आँचल कर देता हूँ
जो शहीद हुए इस मातृभूमि के लिए
मैं वीर उनको नमन करता हूँ
उनके दिखाये पथ पर मैं अपना
पग बढ़ाता हूँ।