बौनी उड़ान
बौनी उड़ान
परहित में रत रहना अनवरत,
यही है एक सच्चे मानव की पहचान।
जीवन के उस लम्हें को सफल मानें, जिसमें हमने दी किसी चेहरे को मीठी मुस्कान।
गलतियाँ अपनों की तो माफ सभी कर देते,
माफ जो सबको कर दे इंसां तो है वही महान।
काम लाभप्रद ही सब करते हैं,
और बचते हैं उन कामों से जो कर सकते हैं निज नुकसान।
बिन दिए दर्द सबको खुशी दे वह है ऊँची,
जो किसी भी दिल को दुखाए वह बौनी है उड़ान।
बड़े सम्मान संग याद सब करते उन्हें, जिन्होंने त्याग के भाव-कर्म का जीवन है जिया।
अमर हो जाते हैं वे मरकर भी, जिन्होंने परमार्थ रूपी अमृत है अपने जीते जी ही पिया।
भेजा प्रभु ने सबको भूलोक पर विशिष्ट उद्देश्य के लिए,
जिस लक्ष्य को हमने भुला है दिया।
स्वार्थ भाव में हम जुटाते रहते हैं भौतिक चीजें ही सतत,
और रहते हैं ताउम्र बड़े ही परेशान।
सतत ही हम सर्वहित का रखते हुए ध्यान,
सबके संग मिल-जुलकर लेते रहें हम लम्बी उड़ान।
बनी ये कुदरत छोटे-बड़े से,
इन सबका अति महत्त्वपूर्ण है जीवन में स्थान।
समय-समय संग ये अलग-अलग हैं उपयोगी,
रखना हमें सदा ही यह ध्यान।
मिल-जुल कर हम प्यार बढ़ाएं,
दुख-दर्द उनके बांटें जो हैं पिछड़े और परेशान।
उपयोगिता इसी में है जीवन की,
और मानव जीवन का होना चाहिए यही अरमान।
कुसंग और दुष्प्रवृत्तियों से बचें रहें, लम्बी लेकर त्यागें जो हैं अहितकर बौनी उड़ान।
