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Kiran Vishwakarma

Romance

4  

Kiran Vishwakarma

Romance

तेरी यादों की बारिश

तेरी यादों की बारिश

1 min
286


अपने प्रेमी से बिछुड़ी धरा

अपने प्रियतम की राह तक रही है

उसकी याद मे जल रही है

उससे मिलने को तड़प रही है


जिस पथ से आते प्रियतम

ये अँखियां उस पथ को तक रही हैं

खुद से एक सवाल पूछ रही है

जैसे मैं तुम्हे याद कर रही हूँ

क्या तुम्हे याद मेरी नही आती है


अंबर भी बिछुड़न सह रहा

अपनी बेबसी पर रो रहा

कैसे बताऊँ प्रियतमा तुम्हे

मैं तो हर रोज तेरी यादों की


बारिश में भीग रहा

मेरे हृदय में जो बादलों का शोर गरज रहा

क्या तुम तक नही पहुँच रहा

याद तो बहुत आती है तेरी

एक बिजली सी कौंधती है


हृदय का दर्द नयनों से बरस रहा

निकले जो आँसू अंबर के नयनों से

वो धरा के तन-मन को भिगो रहा

वो समझ गयी कि मैं अकेली नहीं

मेरा प्रियतम भी मेरी याद में रो रहा।


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