तेरी यादों की बारिश
तेरी यादों की बारिश
अपने प्रेमी से बिछुड़ी धरा
अपने प्रियतम की राह तक रही है
उसकी याद मे जल रही है
उससे मिलने को तड़प रही है
जिस पथ से आते प्रियतम
ये अँखियां उस पथ को तक रही हैं
खुद से एक सवाल पूछ रही है
जैसे मैं तुम्हे याद कर रही हूँ
क्या तुम्हे याद मेरी नही आती है
अंबर भी बिछुड़न सह रहा
अपनी बेबसी पर रो रहा
कैसे बताऊँ प्रियतमा तुम्हे
मैं तो हर रोज तेरी यादों की
बारिश में भीग रहा
मेरे हृदय में जो बादलों का शोर गरज रहा
क्या तुम तक नही पहुँच रहा
याद तो बहुत आती है तेरी
एक बिजली सी कौंधती है
हृदय का दर्द नयनों से बरस रहा
निकले जो आँसू अंबर के नयनों से
वो धरा के तन-मन को भिगो रहा
वो समझ गयी कि मैं अकेली नहीं
मेरा प्रियतम भी मेरी याद में रो रहा।