उड़ान सपनो की
उड़ान सपनो की
छोटे छोटे सपने कब बड़े बन जाते है।
अरमान जो दिल हो तो कदम पाते है।।
अपना वजूद, अपनी पहचान बनानी थी।
सब को अपनी मौजूदगी एहसास दिलानी थी।
छोटा सा प्रयास किया था बडी हिम्मत से।
उस को पंख दिये थे मेरे अटूट हौसलों ने।
जब हो गयी थी पहचान धूमिल दूसरों के नामों में,
तब अपनी खोयी हुई पहचान बनानी थी।
ठाना था मैंने कि बिना मदद के ही खुद को साबित
कर दूंगी, बिना पैसों के ही पहचान बना लुंगी।
उड़ान बौनी सी है मेरी, पर दिल को आज सुकून है।
छोटा सा ही सही पर आज मेरा वजूद तो है।
लोग पहचानते है आज मुझे मेरे नाम से
और जानते है मुझे मेरे अपने काम से।।