माँ- ठीक तो है ना!
माँ- ठीक तो है ना!
माँ! कह रही थी पैसे मत भेजना,
पैसे निकल नहीं रहे है,
अपने पास ही रखना पैसे।
यहाँ सब बंद है,
कब खुलेगा पता नहीं ,
पैसे की जरूरत अभी तो है नहीं ,
तेरे पास रहेंगे पैसे तो मिल जायेंगे।
मैं सोच रहा था कल की ही तो बात है,
पर ये व्यवस्था की हालात है क्या?
माँ! पूछती है- ठीक तो है ना!
मैं कहता हूँ-हाँ ठीक हूँ माँ!
पर माँ! कहती है ख़बरों में बता रहा है,
वहाँ बीमारी ज्यादा फैल रहा है।
हाँ माँ! पर मैं बाहर नहीं जा रहा हूँ,
यहीं घर के अंदर ही रहते है हम सब।
माँ! वहाँ सब ठीक है ना,
माँ! हमेशा कहती है- सब ठीक है।
माँ! तो आख़िर "माँ" है,
कभी ना कहती नहीं ,
माँ! सब सम्हाल लेती है।
माँ! मुझे भी अपने जैसी बना दो
धैर्य, सन्तोषी, सहनशील, हिम्मती
और ना जाने क्या-क्या..
मुझ में कुछ नहीं है तुम जैसी माँ!
माँ! मैं जब इन हालातों को देखता हूँ,
तो मुझे डर लगने लगता है,
माँ! तुम कैसे सब ठीक कर लेती हो।
दीदी भी तुम जैसी है माँ,
सब सम्हाल लेती है,
सब ठीक कर देती है।
माँ! मुझे भी सिखा दो ना,
कैसे सब ठीक कर देती हो!
