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Kunwar Singh

Abstract Romance Fantasy

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Kunwar Singh

Abstract Romance Fantasy

गलती हुई जिंदगी

गलती हुई जिंदगी

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इतिहास कभी पीछा नही छोड़ती है और 

जिंदगी की गलती कभी निर्णय लेने नही देती। 

आसमान और धरती अलग अलग सही है, 

भ्रम होता है कही मिलती होगी। 


ना धरती का पता है और ना आसमान का, 

कहने से पहले पता तो हो कि मेरा ठीकाना है। 

सपने भी तो एक से नही होते हैं, 

कोई आसमान में तो किसी के धरती में भी नही होते हैं। 


ज़रा सा धरती पर पैर आया तो लगा 

आसमान की सैर भी हो सकती है, 

पता ही नही था कि पर तो है ही नही। 


आँख खुली तो पता चला है 

चादर भी फट चुकी है, 

सोचा दिन में छुप जाऊँगा पर 

रात भी काली निकली।


जब पाँव से जमीन हटी तो 

पता चला आसमान का,

फिर टूट गए सारे भ्रम 

सुकूँ के सपने मेरे थे ही नहीं।


एक गलती दूसरी गलती 

तीसरी गलती चौथी गलती

और फिर जिंदगी ही गलती हो गई। 


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