बचपन और दोस्त
बचपन और दोस्त
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कुछ बातें है जो याद रह जायेगी
जो पल काटे है साथ में यहाँ।
कुछ बातें तुम्हारा हुआ कुछ मेरा
कुछ रिश्ते टूटे, कुछ छूटना था।
कुछ बातें दिल में ही रह गई
कुछ बातें कहकर गलत हुये।
हमें आया नही, ये जताना अच्छाई
कि गलत हम नही, पर हुए तो है।
साथ रहना भी आसान नही होता
दूरियाँ तो पहले से तय थी।
तुम्हें दिल की बातें बता भी देते
पर साथ बीते लम्हों में, भरोसा जो टूटा।
सोचा तो नही था, कड़वी यादों का साथ
मेरी बात उन्हें समझाना नही आया।
यादों की कारवाँ में कुछ गलतफहमियाँ भी रही
बातें बताना मुश्किल था और मैं बुरा भी बन गया।
कुँवर
