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संदीप सिंधवाल

Inspirational

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संदीप सिंधवाल

Inspirational

सिंधवाल शेर २

सिंधवाल शेर २

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सिंधवाल शेर २ ।।१।।

लौट आना तुम फिर उसी कुटिया में

कि उधर ख्वाहिशों का बाजार गरम है। ।।२।।

मै कहता रहा कि पीना छोड़ दिया है

वो पूछते रहे पास रखा जाम किसका है? ।।३।।

सोचता हूं कि अब नया घर बनाया जाय

जगह मंहगी है, दिलों में कोई जगह नहीं देता। ।।४।।

वो नहीं सुनते मेरी कि अभी व्यस्त बहुत हैं

ये जिंदगी है यारो ऐसे वहीं गुजरती है। ।।५।।

मंजिलें हर वाशिंदे कि एक ही हुआ करती

रास्तों की लंबाई तो एक मानसिकता है। ।।६।।

बड़े फक्र से कहता हूं पेड़ मत काटो यारों

ये कागज जिस पर लिखता हूं उसी से है। ।।७।

जिंदगी तुझसे शिकवे ना करूंगा बार बार

एक सवाल का जबाव मुझे मिल गया होता। ।।८।।

ये आदम जात भी कहां कहां पहुंच जाता है

जंगलों में एक हंसता परिवार हुआ करता था। ।।९।।

आज तुझे सीने से लगा लूं ऐ चलती जिंदगी

आजकल चिंताओं से मै खाना खाता कम हूं। ।।१०।।

देख लेना यारो एक दिन नई बयार चलेगी

तेरे अन्दर मेरे अंदर एक बात साथ चलेगी।


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