ब्रज की होली
ब्रज की होली
होरी आयी, होरी आयी
बूढे, बच्चे सब पर मस्ती छायी
रंगों की हो रही बौछार
आया आज खुशियों का त्यौहार
गुजिया, मठरी बहुत बनाये
ठाकुर जी को भोग लगाये
आज घर पर बनेगी ठंडाई
जम के चले आज पुरवाई
उस पर चढ़ा भांग का रंग
मस्ती करेंगे सब के संग
ब्रज की होरी वर्णन करी ना जाये
या ब्रज में सर्व सुख मिल जाये
धूम मचाये नर और नारी,
होरी खेले बहुत विस्तारी
एक महीना का ये त्यौहार,
लड्डू और लठमार का प्रचार
अमीर गुलाल उड़े बहुरंगा
ब्रज में हुल्लड़ खूब अतरंगा
निकली मुर्खन की बारात,
जामे काऊ के सर पर काउ की लात
कोउ छेड़े अपने अलाप,
कोउ ठाडो मुस्कात
काऊ की दांडी लम्बी मूँछ
काउ के लग रही पूँछ
काउ के गाल लाल गुलाबी
काउ ने पहनी है साड़ी
काउ ने गौरी के मल दिये गाल
काउ ने चली टेडी मेढी चाल
होरी को हुल्लड़ मच रो आज
ब्रज सुंदर सज रो आज
फिर सुनेगे कवि सम्मेलन
सुंदर सुंदर सब को वर्णन
ऐसे ब्रज में आनंद आये
या ब्रज में तीन लोक समाये
राजाधिराज यहाँ के राजा
बिहारी जी पर बजे बैंड बाजा
होरी की मस्ती में संध्या मगन हो जाये
आँंख मूंद ब्रज की होरी में खो जाये।