सीता का वनवास
सीता का वनवास
प्रेम में सीता हुई वनवासी
त्याग महलों का किया।
वन वन भटक कर
चौदह वर्ष विचरण किया।
दी अग्नि परीक्षा फिर
भी जब त्यागी गयी
समाज और परिवार पर
कोई प्रश्न न लाच्छन किया
जन्म दिया लव कुश को
और उन को संस्कार दिए
रही मर्यादा में अपनी और
संस्कृति का पालन किया
जब बड़े हुए दोनों सुकुमार
ज्ञान उन्हें वेदों का दिया।
बनाया तेजस्वी और धनुर्धर कि
युद्ध मे हनुमान भी हार गए।
जब सुनाई करुण कथा सीता की
लव कुश ने तो सुन कर के ,
भरी सभा मे राम निरुत्तर हुए
कि प्रार्थना माँ सीते से पुनः प्रस्थान करें।
तब सीता ने अपने मान कि खातिर
धरती माँ से कड़ी प्रार्थना और
धरती की गौद में समा गई,पर उन्होंने
राम को कभी अपमानित नही किया।।
हर युग मे दी परीक्षा अनेक तब जा
कर स्त्री ने प्रेम को साकार किया।