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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

बचत

बचत

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एक-एक कण से ही मण बनता है

एक-एक बूंद से ही सागर भरता है

थोड़ी-थोड़ी बचत करते रहने से ही,

एक दिन वो लाख रुपया बनता है

आमदनी अठन्नी ख़र्चा रुपया करते है

उनका जीवन जल्द ही नरक बनता है


कमाई का कुछ जो प्रतिदिन बचाता है

उस पर कभी कोई बोझ नहीं आता है

एक-एक पाई जोड़ने से वो एक दिन

बहुत बड़ा जागीदार बनता है

एक-एक कण से ही मण बनता है


दरिया कितना ही भरा हुआ क्यो न हो

रोज पानी पीने से वो भी खाली होता है

कोई कितना ही अमीर क्यों न हो

नियमित बचत न करने से,

एक दिन वो भी ग़रीब होता है

रोज बचत करने वाला एक दिन,

अमीर जरूर ही बनता है

एक-एक कण से ही मण बनता है


एक पत्थर से मकान कहाँ बनता है

वैसे ही एकदिन की बचत से 

पैसा कहाँ बनता है

लगातार बचत करने से ही, साखी

एक दिन हिमालय भी ज़मीं बनता है

जो शख्स बचत प्रतिदिन करता है

उसका जीवन जन्नत ज़रूर बनता है

एक-एक कण से ही मण बनता है



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