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Mamta Singh Devaa

Inspirational

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Mamta Singh Devaa

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लो फिर आ गया ' महिला दिवस '

लो फिर आ गया ' महिला दिवस '

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हर साल की तरह फिर से आ गया ' महिला दिवस '

ये बताने की शायद दस प्रतिशत सफल बाकी बेबस,


हम वर्ष - महीने - हफ़्ते - दिन - घंटे हर सेकेंड जानती हैं

हम महिला हैं ये बात हम महिलायें गर्व से मानती हैं,


ये जो प्रतिशत का आँकड़ा है इस पर ध्यान देना है

सफलता में बराबरी पर ला कर सबको मान देना है,


कितनी महिलायें हैं जिनको ' महिला दिवस ' का पता नहीं

उन सबको खुद अपने घर के पते का भी अता - पता नहीं ,


सिर्फ़ क़ानून भर बना देने से बराबर की बराबरी नहीं मिलती

दिल में तो बिठा दिया हमको पर दिमाग़ में जगह कहाँ मिलती ?


मंच पर बड़ी - बड़ी बातें बोलने से कभी कुछ नहीं होता

यही बातें घर की महिला पर आज़माने का दिल नहीं होता ?


इतवार की छुट्टी का हक़ क्या हमको मिल जाता है

हर महीने काम का चेक क्या हमारे बैंक में आता है ?


जिस दिन सबका दोरूख़ा व्यवहार एकरूख़ा हो जायेगा

उस दिन ये ' महिला दिवस ' फिर हर रोज़ मनाया जायेगा।



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