स्त्री छवी
स्त्री छवी
मैं तीर हूं कमान की,
निशान धनुर्धारी की..
छवी हूं चित्रकार की
उमंग हूं बहार की..
मैं मेघ वर्षाकाल की,
हूं रश्मी रविराज की..
जवाब हूं सवाल की,
हूं कल्पना गिरधारी की..
मैं लक्ष हूं कटार की,
दहाड हूं पुकार की..
हूं बासुरी मैं कृष्ण की,
धून मिश्री मनोहार की..
मैं इंद्रधनु बन आऊं जो,
नीती ठान लूं निर्वाण की..
मैं इंद्रधनु बन आऊं जो,
नीती ठान लूं निर्वाण की..!!!